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‘तेरा ख्याल‘



तेरा ख्याल है रहमत तेरी

इसमें न कोई जहमत मेरी।

मुझसे मुझी को जुदा कर रहा धीरे धीरे,

मुझमें तेरा ‘ वजूद‘ बढ़ रहा धीरे धीरे ।

सब सीमाएं तोड़ रहा धीरे धीरे,

शून्य से अनन्त बन रहा धीरे धीरे।


अमिट, अमूल्य है ये तेरा ख्याल,

अब न कोई जवाब है न कोई सवाल ।

गुज़ारिश है तेरे ख्याल में कोई ख्याल न मिले,

मेरे भीतर तेरे ख्याल के सिवा,

कोई ख्याल न बचे!

©Original work by Deepa Bhardwaj

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