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देवी‌- एक दिव्य स्पंदन


परम तत्व का बहाव हूँ,

प्रकाश का सैलाब हूँ ,

मैं सृजन हूँ,मैं पालक हूँ,हनन हूँ मैं।

प्रेम, ममता और संहार की धारक हूँ मैं !


समय और काल से परे,

स्वयं में प्राण को भरें ,

हर जीव का आधार हूँ मैं,

हर योगी की खोज हूँ मैं।


प्रलय से प्रलय तक का फैलाव हूँ मैं,

आदि से अंत तक का सैलाब हूँ मैं,

हर प्राणी में ओज हूँ मैं,

हर योगी की खोज हूँ मैं।


गति हूँ, रति हूँ, सती हूँ मैं।

न किसी रूप, न किसी नाम में बंधी हूँ मैं।

श्रृंगार का सार हूँ।

शक्ति की धार हूँ।

सर्व गुणों का भंडार हूँ मैं !


हृदय है निवास मेरा,

पवित्रता है अहसास मेरा,

ब्रह्मांड में नृत्य मेरा,

सृष्टि है कृत्य मेरा !


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